प्रचलित विज्ञान का तरीका है:
(१) वैज्ञानिक अपनी कल्पना से नियम की अवधारणा प्रस्तुत करता है।
(२) यंत्र से उस अवधारणा का परीक्षण करता है।
(३) यदि यंत्र उस परीक्षण को सही ठहराता है - तो उस नियम को सही मानता है।
(४) इस तरह जो नियम को सही माना - उसको अन्तिम-सत्य नहीं मानता है।
(५) इस तरह और नियम बनाने तथा और यंत्र बनाने की जगह बनी रहती है।
(६) यंत्र सामरिक विधि (युद्ध आदि) से पहले तैयार होता है, फ़िर प्रोद्योगिकी और व्यापार विधि से लोकव्यापीकरण होता है।
इस तरह प्रचलित विज्ञान विधि से मनुष्य समाधान तक पहुँच नहीं सकता।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (जून २००८, बंगलोर २००८)
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