अस्तित्व में प्रकृति चार अवस्थाओं के रूप में अपनी वास्तविकताओं को प्रकट की है। इस प्रकटन में कुछ भाग मनुष्य को इन्द्रियगोचर है, तथा कुछ भाग ज्ञान-गोचर है। रूप तथा सम-विषम गुण इन्द्रियगोचर है - मतलब यह मनुष्य को अपनी इन्द्रियों से समझ आता है। मध्यस्थ-गुण, स्व-भाव और धर्म ज्ञान-गोचर है - मतलब यह मनुष्य को ज्ञान पूर्वक ही समझ में आता है।
ज्ञानगोचर पक्ष स्पष्ट होना ही साक्षात्कार है। दूसरे शब्दों में वस्तुओं का सह-अस्तित्व में प्रयोजन स्पष्ट होना ही साक्षात्कार है। अध्ययन पूर्वक साक्षात्कार होता है। साक्षात्कार हुआ - मतलब अध्ययन हुआ। साक्षात्कार नहीं हुआ - मतलब अध्ययन नहीं हुआ।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (जून २००८, बंगलोर)
ज्ञानगोचर पक्ष स्पष्ट होना ही साक्षात्कार है। दूसरे शब्दों में वस्तुओं का सह-अस्तित्व में प्रयोजन स्पष्ट होना ही साक्षात्कार है। अध्ययन पूर्वक साक्षात्कार होता है। साक्षात्कार हुआ - मतलब अध्ययन हुआ। साक्षात्कार नहीं हुआ - मतलब अध्ययन नहीं हुआ।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (जून २००८, बंगलोर)
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