समझना पूरा होता है, आधा अधूरा नहीं। अधूरे में समाधानित होते ही नहीं हैं। पूरा समझने के बाद ही प्रमाणित होने की बात आती है। प्रमाणित होना क्रम से होता है। प्रमाणित होने का क्रम है - समाधान, समृद्धि, अभय, और सह-अस्तित्व।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (जून २००८, बंगलोर)
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