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Thursday, November 6, 2008

तर्क का प्रयोजन

प्रश्न: तर्क क्या है? तर्क का प्रयोजन क्या है?

उत्तर: तर्क का मतलब है - क्यों और कैसे का उत्तर दे पाना। ऐसा तर्क एक प्रेरणा है। तर्क-सम्मत अभिव्यक्ति वस्तु तक पहुंचाने का एक bridge है। तर्क स्वयं में कोई वस्तु नहीं है।

अभी आदमी-जात तर्क के लिए तर्क करता है। क्यों-कैसे पूछने को तर्क मान लिया है - पर ऐसा होता नहीं है। इस चंगुल से छूटने की आवश्यकता है।

तर्क-संगति चित्रण तक जाता है। चिंतन में जाता नहीं है। चिंतन में कोई तर्क नहीं है। बोध में कोई तर्क नहीं है। अनुभव में कोई तर्क नहीं है। अनुभव प्रमाण में कोई तर्क नहीं है।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (भोपाल, अक्टूबर २००८)

1 comment:

Anonymous said...

Here again Babaji's words only confirm what I have always believed that Logic is only applicable in the intellectual range of learning. Truths presented here must be verifiable through logic otherwise the intellect will reject them.
However to understand higher order truths realized in the super conscious range logic cannot be applied. Truths here may only be experienced and only the seeker himself can experience them and one experiences them when you rise above the mind, body and intellect.
This is a common note in almost all paths of Self Realization.
It is for this reason that Spinoza who made one of the finest attempts to convince people about God through propositional logic failed to do so.
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