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Sunday, November 2, 2008

भार-बंधन और अणु-बंधन

प्रश्न: भार-बंधन और अणु-बंधन क्या है?

उत्तर: परमाणुओं, अणुओं, और उनसे रचित रचनाओं में जो संगठित होने की बात जो है - वही भार-बंधन है। साम्य-सत्ता (व्यापक) में संपृक्त रहने से परमाणु-अंशों में चुम्बकीय बल सम्पन्नता रहती है। इसी के कारण उनमें एक दूसरे के साथ जुड़ने वाला गुण है, जिसको "भार-बंधन" कहा है। अनेक परमाणुओं के भार-बंधन पूर्वक एक अणु के रूप में संगठित होने से "अणु बंधन" है। अणु-बंधन से सारी प्राकृतिक रचनाएँ हैं - जैसे मिट्टी, पत्थर, मणि, और धातु। ये सभी रचनाएँ व्यवस्था के अर्थ में हैं।

जड़ जगत में भार-बंधन और अणु-बंधन की उपयोगिता है। जीवन गठन-पूर्ण परमाणु है, इसलिए वह इस बंधन को नकारता है। जीवन सामयिक रूप में (शरीर यात्रा के दौरान) जड़ जगत की उपयोगिता को स्वीकारता है, और स्वयं भी उसके लिए पूरक होता है।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (भोपाल, अक्टूबर २००८)

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