हर व्यक्ति अपनी समझदारी के आधार पर सोच-विचार बनाता है। उस सोच-विचार के आधार पर योजना बनाता है। उस योजना के आधार पर कार्य-योजना बनाता है। उस कार्य-योजना के क्रियान्वयन पर फल-परिणाम होता है। वह फल-परिणाम समझदारी के अनुरूप हो गया, मतलब समाधान हो गया। यदि उसके विपरीत जाता है, तो समस्या हो गया।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (भोपाल, अक्टूबर २००८)
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