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Wednesday, November 12, 2008

सही और ग़लत

हम मानव सही में एक हैं, गलती में अनेक हैं।

गलती की ओर हमारा प्रवृत्ति जब तक है तब तक हम अपनी गलतियों का फल भोगते ही हैं।

जिस क्षण से सही की ओर प्रवृत्ति हो जाती है, उसी क्षण से गलतियों का प्रभाव हम पर ख़त्म हो जाता है।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००६, अमरकंटक)

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