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Wednesday, November 5, 2008

ईश्नाएं और उपकार

मानव चेतना में तीनो ईश्नाओं के साथ मनुष्य जीता है। ये तीन ईश्नायें हैं: -

(१) पुत्तेष्णा
(२) वित्तेष्णा
(३) लोकेषणा

पुत्तेष्णा = जन बल कामना ( मानव परम्परा के धरती पर बने रहने के लिए वंश-वृद्धि के लिए कामना पुत्तेष्णा है।)
वित्तेष्णा = धन बल कामना ( परिवार के समृद्धि पूर्वक जीने के लिए प्राकृतिक सम्पदा पर श्रम नियोजन से धन की कामना वित्तेष्णा है।)
लोकेषणा = यश बल कामना ( अपने अच्छे कार्यों के लिए लोगों में अपनी पहचान के लिए कामना लोकेषणा है। )

मानव परम्परा को ज्ञान-संपन्न बनाना ही उपकार है। दूसरे शब्दों में समझे हुए को समझाना, सीखे हुए को सिखाना, और किए हुए को कराना ही उपकार है।

मानव चेतना में तीन ईश्नाओं के साथ मनुष्य उपकार करता है। देव-चेतना में लोकेषणा के साथ उपकार करता है। दिव्य-चेतना में केवल उपकार करता है।

ईश्नाओं के बिना मानव-परम्परा कैसे होगा? मानव-परम्परा के बने रहने के लिए पुत्तेष्णा, वित्तेष्णा, और लोकेषणा आवश्यक हैं।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (भोपाल, अक्टूबर २००८)

1 comment:

Devansh Mittal said...

That was really a great post!
I was thinking the same just this morning. Yes, words were not the same as you used in the post but the concept was similar.
First of all I wanted to appreciate the definitions of Putreshna, Vitteshana, Lokeshana you have given here. I have never seen such precise and good definitions of these words before.
What I understand is, the mool chahana behind "Eshna-Traya" is Samriddhi and Abhay. To ensure continuity of feeling of Prosperity and Fearlessness, I think eshna-traya are there.
The purpose of human society in which there is everybody Samadhanit is to ensure Abhay and Samriddhi and their continuity. Eshna-Traya helps in that. The purpose of such a society is to ensure continuity of Prosperity and Fearlessness. To ensure that purpose. everybody in that society will be involved in working in following 5 dimensions:-
1. Shiksha-Samskara
2. Swasthya-Sanyam
3. Nyaya-Suraksha
4. Utpadana-Karya
5. Vinimay-Kosh