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Wednesday, February 10, 2016

सर्वशुभ और परंपरा

"ज्ञान-विवेक-विज्ञान सम्मत निर्णयवादी कार्य-विचार-मानसिकता सहित समाधान, समृद्धि, अभय, सह-अस्तित्व सहज प्रमाण ही सर्वशुभ और परंपरा है.  अभिव्यक्ति, सम्प्रेष्णा, प्रकाशन मानव में, से, के लिए जीता जागता व्यवहार और व्यवस्था में भागीदारी के रूप में स्पष्ट होता है." - श्री ए नागराज 

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