"पूर्व में हमारे पूर्वजों ने कहा भक्ति, विरक्ति में कल्याण है किन्तु मानव जाति के कल्याण की परंपरा हुई नहीं। भौतिकवाद आया तो पहले से प्रलोभन से ग्रसित मानव सुविधा-संग्रह में फंस गया. इसके चलते मानव शोषण, अपराध, युद्ध जैसे कृत्यों को करता रहा और आज भी कर रहा है. सुविधा-संग्रह के लिए मानव ने धरती का शोषण किया और धरती का पेट फाड़ कर खनिज निकाला, जंगल काट डाला। इससे धरती बीमार हो गयी और ऋतु संतुलन प्रतिकूल हो गया. ईंधन अवशेष और परमाणु परीक्षण से उत्पन्न ऊष्मा और प्रदूषण से धरती पर और विपदा आ गयी, अब यह धरती मानव के रहने लायक कितने दिन बचेगी - यह प्रश्न चिन्ह लग गया. इसको हम मानव जाति का विकास बता कर डींग हाँक रहे हैं? अभी तक इस मुद्दे पर तथाकथित बुद्धिजीवी केवल चर्चा कर रहे हैं." - श्री ए नागराज
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