"अस्तित्व नित्य वर्तमान का मतलब है, स्थितिशील और गतिशील निरंतरता। जड़ चैतन्य प्रकृति के लिए यही वर्तमान है. स्थिति-गतिशीलता सहित वर्तमान है. जड़-चैतन्य प्रकृति स्थिति-गति स्वरूप में वर्तता ही रहता है. यह कभी रुकने वाला नहीं है इसलिए नित्य वर्तमान है. किसी भी वस्तु का होना निरंतरता के अर्थ में ही है. निरंतरता का बोध होना ही अध्ययन का प्रमाण है, जिससे ही मानव अभय होता है." - श्री ए नागराज
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