"स्वयं से वियोग न होना ही स्वत्व है. मनुष्य में पाये जाने वाले मूल तत्व निपुणता, कुशलता और पाण्डित्य हैं - जिनका वियोग संभव नहीं है. इसलिए यह मनुष्य का स्वत्व सिद्ध हुआ. जो स्वयं के अधीन हो, जिससे स्व-विचार, इच्छा, संकल्प एवं आशानुरूप नियोजन पूर्वक प्रमाण सिद्ध हो, यही स्वत्व का प्रत्यक्ष प्रमाण है. क्षमता, योग्यता, पात्रता ही स्वत्व है. इसके अतिरिक्त वस्तु का संग्रह, सम्पत्तिकरण पूर्वक स्वत्व को पाने का प्रयास मनुष्य ने किया है." - श्री ए नागराज
No comments:
Post a Comment