ANNOUNCEMENTS



Sunday, February 14, 2016

स्वभाव-धर्म

"इकाई का स्वभाव उसके अस्तित्व सहज प्रयोजन को स्पष्ट करता है.  कोई भी इकाई अस्तित्व में 'क्यों है?' - इस प्रश्न का उत्तर उसके स्वभाव को पहचानने से मिलता है.  स्वभाव ही वस्तु का मूल्य है.

इकाई का धर्म उसके होने को स्पष्ट करता है.  कोई भी इकाई अस्तित्व में 'कैसे है?' - इसका उत्तर उसके धर्म को पहचानने से मिलता है.  धर्म शाश्वतीयता के अर्थ में है.  'होने' का ही दर्शन है.  'होने' को समझने के बाद ही मानव जागृति को प्रमाणित करता है." - श्री ए नागराज


No comments: