ANNOUNCEMENTS



Monday, February 29, 2016

सौजन्यता

"सौजन्यता सीमित नहीं है, यदि सीमित है तो सौजन्यता नहीं है.  वर्गभावना या संस्थानुरूप अनुसरण में सौजन्यता का पूर्ण विकास संभव नहीं है.  क्योंकि जो व्यक्ति वर्गभावना से ओतप्रोत रहता है वह उस वर्ग की सीमा में अत्यंत सौजन्यता से प्रस्तुत होता है एवं अन्य वर्ग के साथ निष्ठुरता पूर्वक प्रस्तुत होता है.  अतः वर्ग सीमा में मनुष्य की सौजन्यता परिपूर्ण नहीं है, और इसी अपरिपूर्णता वश ही स्वयं में स्वयं का विश्वास नहीं हो पाता।  यह घटना पराभव का कारण होती है.  इस पीड़ा से मुक्ति का एकमात्र उपाय अध्ययन पूर्वक जागृत होना ही है."  - श्री ए नागराज


No comments: