प्रश्न: सत्ता पारगामी है, यह आपको कैसे समझ में आया?
उत्तर: पहले मैंने स्वचालित वस्तु को देखा। वस्तु स्वचालित कैसे है? - यह शोध करने पर उसके उत्तर में मुझे यह पता चला कि मूलतः साम्य-ऊर्जा सम्पन्नता है, जिससे क्रियाशीलता है, और कार्य-ऊर्जा के रूप में स्वचालित है। व्यापक-वस्तु जड़ प्रकृति के लिए ऊर्जा है और चैतन्य प्रकृति के लिए ज्ञान है। ज्ञान समाधान को छूता है, सार्वभौमता और अखंडता को छूता है।
व्यापक-वस्तु सर्वत्र पारदर्शीयता विधि से परस्परता में पहचान के रूप में है। पारगामियता विधि से हर वस्तु ऊर्जा-संपन्न है।
प्रश्न: तो हम स्वचालित वस्तु को देख कर, उसके स्वचालित होने के कारण को पहचानने के लिए अनुमान करते हैं कि इस वस्तु के चारों ओर फ़ैली व्यापक-वस्तु इसमें पारगामी होगी, इसलिए यह स्वचालित है?
उत्तर: कारण पता लगने पर कार्य-विधि का पता चलता है। कारण पता चलने के लिए हर व्यक्ति अपने तरीके से अनुमान लगाएगा। अनुमान लगाने का कोई एक तरीका नहीं है।
मेरी साधना-विधि में अनुमान की अवधि कम हो गयी - स्पष्टता अधिक हो गयी। साधना-विधि में जो स्पष्टता हुई, वही स्पष्टता अध्ययन विधि में होने की बात प्रस्तावित की है। हर व्यक्ति साधना विधि से इस स्पष्टता को पायेगा नहीं, इसलिए अध्ययन विधि को जोड़ा है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २०१०, अमरकंटक)
उत्तर: पहले मैंने स्वचालित वस्तु को देखा। वस्तु स्वचालित कैसे है? - यह शोध करने पर उसके उत्तर में मुझे यह पता चला कि मूलतः साम्य-ऊर्जा सम्पन्नता है, जिससे क्रियाशीलता है, और कार्य-ऊर्जा के रूप में स्वचालित है। व्यापक-वस्तु जड़ प्रकृति के लिए ऊर्जा है और चैतन्य प्रकृति के लिए ज्ञान है। ज्ञान समाधान को छूता है, सार्वभौमता और अखंडता को छूता है।
व्यापक-वस्तु सर्वत्र पारदर्शीयता विधि से परस्परता में पहचान के रूप में है। पारगामियता विधि से हर वस्तु ऊर्जा-संपन्न है।
प्रश्न: तो हम स्वचालित वस्तु को देख कर, उसके स्वचालित होने के कारण को पहचानने के लिए अनुमान करते हैं कि इस वस्तु के चारों ओर फ़ैली व्यापक-वस्तु इसमें पारगामी होगी, इसलिए यह स्वचालित है?
उत्तर: कारण पता लगने पर कार्य-विधि का पता चलता है। कारण पता चलने के लिए हर व्यक्ति अपने तरीके से अनुमान लगाएगा। अनुमान लगाने का कोई एक तरीका नहीं है।
मेरी साधना-विधि में अनुमान की अवधि कम हो गयी - स्पष्टता अधिक हो गयी। साधना-विधि में जो स्पष्टता हुई, वही स्पष्टता अध्ययन विधि में होने की बात प्रस्तावित की है। हर व्यक्ति साधना विधि से इस स्पष्टता को पायेगा नहीं, इसलिए अध्ययन विधि को जोड़ा है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २०१०, अमरकंटक)
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