उपयोगिता वस्तु के साथ है।
आवश्यकता मनुष्य के साथ है।
मनुष्य की (भौतिक) आवश्यकता कम हो जाने से उस भौतिक वस्तु की उपयोगिता कम नहीं हो जाती। जैसे एक कौर रोटी खाने के बाद, और खाने की आवश्यकता कम हो जाती है। आप के एक कौर रोटी खाने के बाद रोटी की उपयोगिता कम नहीं हो जाती। वस्तु की गलती नहीं है। मनुष्य की भौतिक आवश्यकताएं समय अनुसार कम और ज्यादा होती हैं। वस्तु की उपयोगिता का मूल्याँकन व्यवस्था के अर्थ में है, न कि मनुष्य की परिवर्तनशील भौतिक-आवश्यकता के अर्थ में।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २०१०, अमरकंटक)
आवश्यकता मनुष्य के साथ है।
मनुष्य की (भौतिक) आवश्यकता कम हो जाने से उस भौतिक वस्तु की उपयोगिता कम नहीं हो जाती। जैसे एक कौर रोटी खाने के बाद, और खाने की आवश्यकता कम हो जाती है। आप के एक कौर रोटी खाने के बाद रोटी की उपयोगिता कम नहीं हो जाती। वस्तु की गलती नहीं है। मनुष्य की भौतिक आवश्यकताएं समय अनुसार कम और ज्यादा होती हैं। वस्तु की उपयोगिता का मूल्याँकन व्यवस्था के अर्थ में है, न कि मनुष्य की परिवर्तनशील भौतिक-आवश्यकता के अर्थ में।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २०१०, अमरकंटक)
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