प्रश्न: सत्ता में सम्पृक्तता वश चुम्बकीय-बल संपन्न परमाणु-अंश एक दूसरे से आ कर जुड़ क्यों नहीं जाते? "क्यों" वे निश्चित-अच्छी दूरी के रूप में व्यवस्था बनाए रखते हैं?
उत्तर: व्यवस्था प्रयोजन के अर्थ में ही दो परमाणु-अंश जुड़ते हैं। दो परमाणु-अंश अच्छी निश्चित दूरी को बनाए रखते हुए कार्य करते हैं, क्योंकि अनेक प्रजाति के परमाणुओं को बनना है। अनेक प्रजाति के परमाणुओं के बिना रासायनिक क्रिया ही नहीं होगा। व्यवस्था प्रयोजन के अर्थ में ही परमाणु-अंश निश्चित अच्छी दूरी बनाए रखते हैं।
प्रश्न: "कैसे" निश्चित अच्छी दूरी बनाए रखते हैं?
उत्तर: परमाणु-अंश घूर्णन गति द्वारा अपना प्रभाव-क्षेत्र बनाए रखते हैं। अपने प्रभाव क्षेत्र को बनाए रखते हुए, दूसरे परमाणु-अंश के साथ जुड़ कर काम करते हैं। घूर्णन गति के प्रभाव वश वे एक सीमा से अधिक पास आ नहीं सकते। इस तरह परमाणु-अंश का वर्चस्व बना रहता है। दो परमाणु-अंशों के साथ होने पर उनका स्वतंत्रता समाप्त नहीं हो जाता।
अस्तित्व का प्रयोजन है - चारों अवस्थाओं की निरंतरता प्रमाणित होना। अस्तित्व की हर स्थिति-गति का यही प्रयोजन है।
प्रयोजन के लिए कार्य होता है।
किसी स्थिति का कार्य "कैसे" होता है, इसका उत्तर उससे आता है - अस्तित्व का प्रयोजन (उस स्थिति के) किस कार्य से सिद्ध होगा?
जैसे - परमाणु-अंश यदि अच्छी निश्चित दूरी में रह कर कार्य नहीं करेंगे तो चारों अवस्थाओं की निरंतरता प्रमाणित होने का प्रयोजन सिद्ध ही नहीं होगा।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २०१०, अमरकंटक)
उत्तर: व्यवस्था प्रयोजन के अर्थ में ही दो परमाणु-अंश जुड़ते हैं। दो परमाणु-अंश अच्छी निश्चित दूरी को बनाए रखते हुए कार्य करते हैं, क्योंकि अनेक प्रजाति के परमाणुओं को बनना है। अनेक प्रजाति के परमाणुओं के बिना रासायनिक क्रिया ही नहीं होगा। व्यवस्था प्रयोजन के अर्थ में ही परमाणु-अंश निश्चित अच्छी दूरी बनाए रखते हैं।
प्रश्न: "कैसे" निश्चित अच्छी दूरी बनाए रखते हैं?
उत्तर: परमाणु-अंश घूर्णन गति द्वारा अपना प्रभाव-क्षेत्र बनाए रखते हैं। अपने प्रभाव क्षेत्र को बनाए रखते हुए, दूसरे परमाणु-अंश के साथ जुड़ कर काम करते हैं। घूर्णन गति के प्रभाव वश वे एक सीमा से अधिक पास आ नहीं सकते। इस तरह परमाणु-अंश का वर्चस्व बना रहता है। दो परमाणु-अंशों के साथ होने पर उनका स्वतंत्रता समाप्त नहीं हो जाता।
अस्तित्व का प्रयोजन है - चारों अवस्थाओं की निरंतरता प्रमाणित होना। अस्तित्व की हर स्थिति-गति का यही प्रयोजन है।
प्रयोजन के लिए कार्य होता है।
किसी स्थिति का कार्य "कैसे" होता है, इसका उत्तर उससे आता है - अस्तित्व का प्रयोजन (उस स्थिति के) किस कार्य से सिद्ध होगा?
जैसे - परमाणु-अंश यदि अच्छी निश्चित दूरी में रह कर कार्य नहीं करेंगे तो चारों अवस्थाओं की निरंतरता प्रमाणित होने का प्रयोजन सिद्ध ही नहीं होगा।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २०१०, अमरकंटक)
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