अध्ययन = अधिष्ठान के साक्षी में स्मरण पूर्वक किया गया सभी क्रिया-कलाप
अधिष्ठान के साक्षी का मतलब है - आत्मा का साक्षी। आत्मा जो जीवन का मध्यांश है। मध्यांश निरंतर अनुभव का प्यासा रहता है। अनुभव की रोशनी में जो हम अस्तित्व की वास्तविकताओं को पहचानते हैं, उसको "क्रिया-कलाप" नाम दिया। अनुभव को प्रमाणित करना ही "अनुभव की रोशनी" है। मैं जो अनुभव मूलक विधि से प्रस्तुत हो रहा हूँ, उसको आप जब स्वीकारते हैं - तभी आप का अध्ययन है। मैंने जो संप्रेषित किया वह अनुभव की रोशनी में किया। आपने जो ग्रहण किया वह अनुभव की प्यास (अपेक्षा) में किया। प्यास है, इसी लिए ग्रहण करते हैं। मैं जो समझाता हूँ, वह अपने अनुभव की रोशनी में समझाता हूँ। आप में अनुभव की प्यास है, मुझ में अनुभव का स्त्रोत है। इन दोनों के संयोग में अध्ययन है। इतना ही है। इसमें कोई घटाने-बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। आप अनुभव करने के बाद जब किसी तीसरे को समझाते हो, तो वह आपके अनुभव की रोशनी में समझाते हो।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २००८, अमरकंटक)
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