अधिक बल और शक्ति कम बल और शक्ति के माध्यम से प्रकट होता है। जीवन भौतिक-रासायनिक रचना (शरीर) से अधिक बल और शक्ति संपन्न है। इसीलिये जीवन शरीर के माध्यम से प्रकट होता है। जैसे बिजली अपने से कम बल-शक्ति वाली वस्तु के माध्यम से प्रकट होता है। इस बात को अच्छे से समझना पड़ेगा। जीवन-ज्ञान का यह सबसे पहला सिद्धांत है।
जीवन अक्षय बल और अक्षय शक्ति संपन्न है। इसमें कम-ज्यादा होने की बात ही नहीं है। सटीक होने की बात है। सटीक होने के लिए गुणात्मक परिवर्तन है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २००८, अमरकंटक)
No comments:
Post a Comment