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Wednesday, December 17, 2008

आत्म-विश्वास और विश्वास

आत्म-विश्वास का मतलब है - अनुभव में विश्वास। आत्म-विश्वास का मूल आत्मा में अनुभव ही है। आत्मा जीवन का मध्यांश है। सह-अस्तित्व में अध्ययन पूर्ण होने पर ही आत्मा अनुभव करता है। अनुभव-सम्पन्नता ही समझदारी है। समझदारी से पहले किसी को आत्म-विश्वास नहीं हुआ।

आत्म-विश्वास के आधार पर ही स्वयम में विश्वास होता है। आत्म-विश्वास के बिना स्वयं में विश्वास हो ही नहीं सकता। आत्म-विश्वास ही श्रेष्ठता का सम्मान करने में विश्वास का आधार है। आत्म-विश्वास ही अपनी प्रतिभा में विश्वास का आधार है। आत्म-विश्वास ही प्रतिभा के अनुरूप व्यक्तित्व में विश्वास का आधार है। आत्म-विश्वास ही व्यवहार में सामाजिक होने में विश्वास का आधार है। आत्म-विश्वास ही उत्पादन में स्वावलंबी होने में विश्वास का आधार है।

स्वयं में विश्वास का परम्परा में गवाही या प्रमाण होता है। वह संबंधों की पहचान और मूल्यों के निर्वाह में विश्वास में गवाहित या प्रमाणित होता है।

आत्म-विश्वास से जीने के लिए ही अध्ययन है।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २००८, अमरकंटक)

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