सूर्य ऊष्मा सदा-सदा के लिए है - सूर्य जब तक ठंडा न हो जाए, तब तक. अभी विज्ञानी ऐसा बताते हैं कि ५० करोड़ साल बाद सूर्य फैलने लगेगा और फैलते-फैलते धरती को अपने में निगल लेगा. ऐसी बेसिरपैर की बातें हम विज्ञानियों से सुनते रहते हैं.
हमारे अनुसार ऐसी भी कल्पना दी जा सकती है कि सूर्य कभी चारों अवस्थाओं के साथ समृद्ध था, और वहां के विज्ञानी ही उसको आग का गोला बना कर अब इस धरती पर आ गए हों! अब वही काम इस धरती पर भी करने के लिए तैयार बैठे हैं.
ऐसा सोचने में क्या तकलीफ है?
हमारी इस कल्पना की हमारे पास गवाही तो है नहीं. न विज्ञानियों के पास गवाही है कि सूर्य ५० करोड़ साल बाद धरती को निगल लेगा! वो कल्पना कर सकते हैं तो हम भी कल्पना कर सकते हैं!
प्रश्न: आपने अनुसार सूरज कभी ठंडा होगा क्या?
उत्तर: मैं कह रहा हूँ - ठंडा होगा! आज जो सूरज है वह पहले से किसी सूक्ष्म से सूक्ष्म अंश में ठंडा हुआ ही है. ऐसा मैं कल्पना करता हूँ. यह धीरे-धीरे हो कर के भारी परमाणु बनेंगे, उसके बाद उसका धरती के स्वरूप में गठन होगा.
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (२००५, रायपुर)
हमारे अनुसार ऐसी भी कल्पना दी जा सकती है कि सूर्य कभी चारों अवस्थाओं के साथ समृद्ध था, और वहां के विज्ञानी ही उसको आग का गोला बना कर अब इस धरती पर आ गए हों! अब वही काम इस धरती पर भी करने के लिए तैयार बैठे हैं.
ऐसा सोचने में क्या तकलीफ है?
हमारी इस कल्पना की हमारे पास गवाही तो है नहीं. न विज्ञानियों के पास गवाही है कि सूर्य ५० करोड़ साल बाद धरती को निगल लेगा! वो कल्पना कर सकते हैं तो हम भी कल्पना कर सकते हैं!
प्रश्न: आपने अनुसार सूरज कभी ठंडा होगा क्या?
उत्तर: मैं कह रहा हूँ - ठंडा होगा! आज जो सूरज है वह पहले से किसी सूक्ष्म से सूक्ष्म अंश में ठंडा हुआ ही है. ऐसा मैं कल्पना करता हूँ. यह धीरे-धीरे हो कर के भारी परमाणु बनेंगे, उसके बाद उसका धरती के स्वरूप में गठन होगा.
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (२००५, रायपुर)
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