"हर शिशु जन्म से ही न्याय का याचक, सही कार्य-व्यव्हार करने का इच्छुक और सत्यवक्ता होता है. इन जिज्ञासाओं को फलीभूत करने के लिए: -
- न्याय प्रदायी क्षमता और योग्यता को स्थापित करने से न्याय सहज अपेक्षा तृप्त होती है.
- व्यव्हार में सामाजिक, व्यवसाय में स्वावलम्बन की क्षमता योग्यता पात्रता को स्थापित करने पर सही कार्य-व्यवहार करने की इच्छा तृप्त होती है.
- सहअस्तित्व रूपी सत्य बोध से सत्य वक्ता होने की तृप्ति होती है.
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