This blog is for Study of Madhyasth Darshan (Jeevan Vidya) propounded by Shree A. Nagraj, Amarkantak. (श्री ए. नागराज द्वारा प्रतिपादित मध्यस्थ-दर्शन सह-अस्तित्व-वाद के अध्ययन के लिए)
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Friday, March 11, 2016
संचेतनशीलता
"जो जितना संचेतनशील होता है, उतना ही वह अन्य की वेदना, संवेदना, संज्ञानीयता एवं स्थितिवत्ता के संकेत ग्रहण करता है, फलतः निराकरण के लिए प्रयास करता है." - श्री ए नागराज
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