ANNOUNCEMENTS



Monday, March 21, 2016

अभ्यास

"जाने हुए को मानना और माने हुए को जानना ही अभ्यास है.  अभ्यास का प्रत्यक्ष रूप निपुणता, कुशलता, पाण्डित्य की चरितार्थता है.  न्याय की याचना व कामना को आचरण में स्वीकारने एवं उसमें निष्ठा प्रकट करने की क्षमता ही सम्यक संस्कार है." - श्री ए नागराज


No comments: