This blog is for Study of Madhyasth Darshan (Jeevan Vidya) propounded by Shree A. Nagraj, Amarkantak. (श्री ए. नागराज द्वारा प्रतिपादित मध्यस्थ-दर्शन सह-अस्तित्व-वाद के अध्ययन के लिए)
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Monday, March 21, 2016
अभ्यास
"जाने हुए को मानना और माने हुए को जानना ही अभ्यास है. अभ्यास का प्रत्यक्ष रूप निपुणता, कुशलता, पाण्डित्य की चरितार्थता है. न्याय की याचना व कामना को आचरण में स्वीकारने एवं उसमें निष्ठा प्रकट करने की क्षमता ही सम्यक संस्कार है." - श्री ए नागराज
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