जागृतिक्रम में यश एक सहज घटना है। यश का भ्रूण रूप मानवीयता है। प्रौढ़ रूप देव मानवीयता। यश का नित्य रूप ही दिव्य मानवीयता है।
हरेक व्यक्ति स्वयं में व्यवस्था एवं समग्र व्यवस्था में भागीदारी का निर्वाह यश का व्यवहारिक स्वरूप है। संबंधों को पहचानना एवं उनमे निहित मूल्यों का निर्वाह करना - यह मानव कुल का यश है।
- श्री ए. नागराज (परिवार मानव, मई 2006)
हरेक व्यक्ति स्वयं में व्यवस्था एवं समग्र व्यवस्था में भागीदारी का निर्वाह यश का व्यवहारिक स्वरूप है। संबंधों को पहचानना एवं उनमे निहित मूल्यों का निर्वाह करना - यह मानव कुल का यश है।
- श्री ए. नागराज (परिवार मानव, मई 2006)
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