"कार्य की पहचान भी ज्ञान ही है, जिसे कार्य-ज्ञान कहते हैं। कार्य-ज्ञान होता है - यह मानव जाति के पकड़ में आ गया है। कार्य-ज्ञान के मूल में जो प्रवृत्ति है, उसे हम (मूल) ज्ञान कह रहे हैं। वही साम्य ऊर्जा है, वही मूल ऊर्जा है। होने के रूप में मूल ऊर्जा या ज्ञान है, रहने के रूप में कार्य-ऊर्जा या कार्य-ज्ञान है। होना स्व है, रहना त्व है।"
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)
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