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Tuesday, July 3, 2012

सुख

  

"मानव सुखी होना चाहता है।  सुख के स्वरूप ज्ञान के लिए मैंने प्रयत्न किया।  मानव का अध्ययन न हो और सुख पहचान में आ जाए - ऐसा हो नहीं सकता।  दूसरे, मानव का अध्ययन करने का आधार सुखी होने के अर्थ में है, और कोई अर्थ में नहीं है।"


- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)

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