"मानव सुखी होना चाहता है। सुख के स्वरूप ज्ञान के लिए मैंने प्रयत्न किया। मानव का अध्ययन न हो और सुख पहचान में आ जाए - ऐसा हो नहीं सकता। दूसरे, मानव का अध्ययन करने का आधार सुखी होने के अर्थ में है, और कोई अर्थ में नहीं है।"
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)
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