मानव ने अपने विगत से अब तक के प्रयासों में "भाषा" और "नाप-तौल की विधियों" को पाया है। भाषा (शब्द) जो मिली - उसको "ज्ञान" मान लिया. दूसरी ओर, नापतौल की विधियाँ जो मिली - उसको "विज्ञान" मान लिया। शब्द से संतुष्टि मिल नहीं पाय़ा, नापतौल से भी संतुष्टि मिला नहीं। इस तरह संतुष्टि को पाने के लिए, विकल्प को सोचने के लिए आधार बिंदु को पहचाना गया।
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)
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