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Friday, July 6, 2012

निष्ठा का प्रमाण



इस बात में सहमति होना भर पर्याप्त नहीं है.  सहमति के साथ निष्ठा जोड़ने पर अध्ययन होता है.  अध्ययन होने के फलस्वरूप सच्चाई को पहचान लिया.  सच्चाई की पहचान होने के फलस्वरूप हमारा जीने के लिए सरल मार्ग निकल गया.  उसके बाद आदमी रुकता नहीं है.  अभी सहमति होने के बाद निष्ठा होने में ही सारी रुकावट है.  
अध्ययन में लगना ही आपकी इस बात में सहमति के प्रति निष्ठा का प्रमाण है.  प्रमाणित होने के लिए अध्ययन आवश्यक है.  अध्ययन के बिना प्रमाणित नहीं हो सकते हैं.  अध्ययन है - अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन.  यह अध्ययन यदि पूरा होता है तो ज्ञानगोचर वस्तु मानव के हाथ लगती है.  जीवन में ही ज्ञानगोचर प्रक्रिया है.  जीवन ही जीवन को पहचानता है.  जीवन ही सहअस्तित्व को पहचानता है.  जीवन ही उपयोगिता-पूरकता को पहचानता है.  मानव में ज्ञान के स्वरूप का निर्धारण जीवन ही करता है.  जीवन ही शरीर के साथ जीता है तो शरीर में  संवेदनाएं प्रकट होते हैं.  संवेदनाओं को जीवन मान लेता है.  यही जीवन का भ्रम है.  शरीर संवेदनाओं को जीवन मान लेने के बाद उसी को राजी करने के लिए चले गए.  उसमे जो अनुकूलता हुई उसमे सुख जैसा भासता है, पर सुख रहता नहीं है.  पूरा मानव जाति इतने में ही भ्रमित है.  

परिभाषा विधि से शब्द के द्वारा वस्तु का कल्पना होता है.  उसको अस्तित्व में वस्तु के रूप में यदि हमने पहचान लिया तो ज्ञानगोचर वस्तु पकड़ में आयी.  यही अध्ययन है.

- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००७, अमरकंटक)

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