प्रत्यावर्तन है - समझने की क्रिया. परावर्तन है - समझाने की क्रिया. ये दोनों क्रियाएं जीवन से होती हैं.
ज्ञान-विवेक-विज्ञान सम्बन्धी बातों को हम समझते हैं और समझाते हैं. ये केवल जीवन से सम्बंधित हैं. इसके बाद सीखने-सिखाने और करने-कराने की भी बात होती है. उसमे शरीर और जीवन दोनों का संयुक्त पुट रहता है.
समझा हुआ को समझाना, सीखा हुआ को सिखाना, और किया हुआ को कराना - ये ईमानदारी का कार्यक्रम है या "उपकार" है. इसके अलावा सब गपशप है!
समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और भागीदारी में से समझदारी मूल है. समझदारी के आधार पर ही बाकी तीनो आते हैं. समझदारी के आधार पर ईमानदारी, ईमानदारी के आधार पर जिम्मेदारी, जिम्मेदारी के आधार पर भागीदारी होना देखा गया. इसका नाम है - जागृति. जागृति के आधार पर हम कुछ भी करते हैं तो समाधान ही होता है, न्याय ही होता है.
- श्रद्देय ए नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००७, अमरकंटक)
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