प्रश्न में कौनसा उत्तर मिलता है भला? अभी तक प्रश्न पैदा करने को, शंका पैदा करने को ही विद्वता माना। केवल प्रश्न करके, शंका पैदा करके संतुष्ट रहना नहीं बनेगा – उत्तर को अपनाने से संतुष्ट रहना बनेगा। मानव को ही समझने का और उत्तर को स्वीकार करने का अधिकार है।
- श्री ए. नागराज के साथ संवाद पर आधारित (सितम्बर २०११, अमरकंटक)
- श्री ए. नागराज के साथ संवाद पर आधारित (सितम्बर २०११, अमरकंटक)
2 comments:
I think if the questions are for the aimed at getting clarity n knowing the reality then they are useful.
it is the "insincere questions" - which are unhelpful. After one has given due consideration to a proposal, if something still remains unclear, then we can say that question is sincere. Otherwise we keep asking questions without making any progress towards understanding.
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