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Tuesday, October 25, 2011

शंका का समाधान

मुझसे रायपुर में शिक्षा से जुड़े १५० लोगों की एक बैठक में एक शंका व्यक्त किया गयी थी – “आपकी बात कहीं एक सम्प्रदाय तो नहीं बन जायेगी?”

इसके उत्तर में मैंने कहा था – साम्प्रदायिकता को लेकर मैं तो सोच नहीं पाता हूँ, वह सोचना आपके अधिकार की बात है। आप इस प्रस्ताव को शोध करके बताइये कि इसमें सम्प्रदाय का आधार क्या है? उसको मैं ठीक कर दूंगा।

“सम्प्रदाय” शब्द का अर्थ है – समान रूप में प्रदाय होना। समान रूप में प्रदाय सही-बात का होता है, या गलती का होता है? सही-बात का ही समान रूप में प्रदाय हो सकता है। सही-बात का समान रूप से प्रदाय होगा तो अखंड-समाज ही होगा।

- श्री ए. नागराज के साथ संवाद पर आधारित (सितम्बर २०११, अमरकंटक)

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