प्रश्न: आपके साथ संवाद का उद्देश्य क्या होगा, और इस संवाद की मर्यादा क्या होगी?
उत्तर: संवाद का उद्देश्य तय पहले होना आवश्यक है। किस प्रयोजन के लिए हम संवाद करें?
हमारे संवाद का उद्देश्य रहेगा - "मानवत्व को पहचानना, और मानवीयता का संरक्षण होना।"
इसी उद्देश्य के अंतर्गत हम समाधान-समृद्धि पूर्वक जीने के लिए संवाद करेंगे। इसी उद्देश्य के अंतर्गत हम नियम-नियंत्रण-संतुलन पूर्वक जीने के अर्थ में संवाद करेंगे। और आगे इसी उद्देश्य के अंतर्गत हम प्रबुद्धता, प्रभुता, और प्रभुसत्ता के बारे में संवाद करेंगे। ये सभी मुद्दे अलग-अलग टुकड़े नहीं हैं, इसी उद्देश्य के भाग हैं।
यह संवाद करते हुए - हम इस बात को भी आमंत्रित करते ही रहेंगे, जो यह बताये यदि विगत में मानवत्व का पहचान हुआ हो, यदि विगत में मानवीयता का संरक्षण हुआ हो। हर परिस्थिति, हर संवाद, हर सम्मलेन में यह निमंत्रण रहेगा। इसको हम भूलेंगे नहीं।
हमारे हिसाब से, विगत की समीक्षा है - विगत में न तो मानवत्व को पहचाना गया, न ही मानवीयता का संरक्षण हुआ। न किसी देश में! न किसी काल में!
मानवत्व को पहचानना = मानव का अध्ययन।
मानवीयता का संरक्षण = मानवीयता पूर्ण आचरण (मूल्य, चरित्र, नैतिकता) का प्रमाणीकरण।
अध्ययन कराने वाला प्रमाणित है, यह स्वीकार होने से ही संवाद की मर्यादा है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (सितम्बर २००९, अमरकंटक)
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