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Monday, November 23, 2009

साम्य-ऊर्जा और कार्य-ऊर्जा

साम्य-ऊर्जा और कार्य-ऊर्जा का अध्ययन जड़-प्रकृति के सन्दर्भ में है।

साम्य-ऊर्जा सम्पन्नता वश (जड़) इकाइयों में चुम्बकीय-बल सम्पन्नता है। चुम्बकीय-बल सम्पन्नता वश (जड़) इकाइयों में क्रियाशीलता है। क्रियाशीलता वश (जड़) इकाइयों में कार्य-ऊर्जा का प्रकाशन है - जो ध्वनी, ताप, और विद्युत् के रूप में होती है। साम्य-ऊर्जा यथावत रहती है। साम्य-ऊर्जा का व्यय नहीं होता। कार्य-ऊर्जा का व्यय होता है। जड़-प्रकृति में जो कार्य-ऊर्जा प्रकट होती है, उसको मानव अपने उद्यम से घटा और बढ़ा सकता है, और उसको अपने उत्पादन-कार्य के लिए प्रयोग में ला सकता है। यह मनुष्य अभ्यास पूर्वक सिद्ध कर चुका है।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (सितम्बर २००९, अमरकंटक)

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