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Thursday, August 14, 2008

भाषा से ज्ञान तक

ध्वनि के एक तरीके को हम भाषा कह रहे हैं। इन्द्रियों के साथ शब्द तैयार होता है। शब्द अंततोगत्वा भाषा के नाम से आया। भाषा है - भासना। शब्द के अर्थ से वस्तु का भास् होना। शब्द के अर्थ से वस्तु का स्वरुप कल्पना में आना। अपनी कल्पना में आने के बाद वह साक्षात्कार हो जाए। वह अनुभव में आ जाए। वह प्रमाणित हो जाए। प्रमाणित होना = जीने में, बोलने में, समझाने में अनुभव प्रमाणित होना।

जैसे - "ज्ञान" एक शब्द है। ज्ञान वह समझ है जो मनुष्य के जीने में सामरस्यता के रूप में प्रमाणित होता है। पहले चार विषयों को ही ज्ञान मान लिया गया। वह पर्याप्त न होने पर पाँच इन्द्रियों के द्वारा होने वाली स्वीकृतियों को ज्ञान मान लिया। वह भी पर्याप्त न होने पर उसको भी नकारा गया, और होना क्या चाहिए, इस पर सोचा गया। मैंने इसी बिन्दु से शुरू किया था। मैंने जो प्रयास किया वह सफल हो गया। मैंने ज्ञान को पहचान लिया - जो मनुष्य के जीने में सामरस्यता के रूप में प्रमाणित होता है।

इन्द्रिय-गोचर वस्तुओं का ज्ञान मनुष्य को हो गया है। ज्ञान-गोचर सब बचा हुआ है। मध्यस्थ दर्शन ज्ञान-गोचर वस्तुओं की पहचान कराने के अर्थ में है। जैसे - जीवन ज्ञान-गोचर है। मानव-मूल्य - विश्वास, सम्मान, आदि - ज्ञान-गोचर हैं। ये ज्ञानगोचर वस्तुएं यदि साक्षात्कार होता है, तो अनुभव होता ही है।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००७, अमरकंटक)

3 comments:

Anonymous said...

When Baba refers to the hindi word 'vastu' does it directly translate to a 'thing'?

if yes - ' manav mulya(sammaan, vishwas etc) are these things - when they are referred to as 'vastus'?

Rakesh Gupta said...

vastu means vaastavikta - or reality.

samman is a reality (vaastavikta) - which is realizable in human-relationships. Samman is not perceivable through senses - though we do acts of showing samman. Samman is a gyaan-gochar reality, i.e. it can be comprehended through adhyayan.

perfection in comprehension is upon recognition of all realities in existence.

regards,
Rakesh...

Rakesh Gupta said...

samman as a vastu is understood only when one has understood jeevan.

Jeevan is the reality which wants samman, and realizes samman - upon perfect-comprehension (anubhav).

regards, Rakesh..