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Monday, July 22, 2019

वातावरण

हमने प्रतिपादित किया है: - "इकाई + वातावरण = इकाई सम्पूर्ण"

जैसे: - एक झाड का जो क्रियाकलाप रहता है उसके अनुसार झाड़ का वातावरण है.

पदार्थ के क्रियाकलाप के अनुसार पदार्थ का वातावरण है.

जीव के क्रियाकलाप के अनुसार जीव का वातावरण है.  जीव का क्रियाकलाप जीने की आशा के अनुसार है.

मनुष्य का वातावरण ही उसके सोच-विचार के अनुसार होता है.  बाकी सब में उनके कार्य करने से उनका वातावरण बनता है.  मनुष्य कार्यकलाप नहीं करता, ऐसा नहीं है.  मनुष्य का कार्यकलाप उसके सोच-विचार के अनुसार होता है.  आदिकाल से अब तक ऐसा ही है. 

आपके सोच-विचार से आपका वातावरण बना है.  सोच-विचार का स्त्रोत जीवन है - यह हम मध्यस्थ दर्शन में घोषणा किये हैं.  आपका सोच-विचार ही आपके वातावरण को बनाया है.

- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २००८, अमरकंटक)

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