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Tuesday, April 19, 2011

भक्ति

आदर्शवाद में “भक्ति” को लेकर कहा गया – ईश्वर को रिझाने के अर्थ में भजन और सेवा करना भक्ति है। ईश्वर रहस्यमय रहे आया. यहाँ मानव-संचेतना वादी मनोविज्ञान में कहा गया – मानव-संबंधों में मूल्यों को प्रमाणित करना भक्ति है। अब इन दोनों में से क्या चाहिए? – आप ही निर्णय कीजिये।

- अनुभव-शिविर जनवरी २०११ – अमरकंटक में बाबा श्री ए नागराज के उदबोधन पर आधारित

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