"जीवन ही जन्म द्वारा प्रकाशित होता है. जीवन मूल्य से रिक्त मुक्त इकाई नहीं है. जीवन अनन्त शक्ति संपन्न होने के कारण नित्य प्रसव पूर्वक संस्कारशील है. मनुष्य का सम्पूर्ण सौंदर्य मानवीयता ही है. यही उसका वैभव है. मानवीयता ही मनुष्य के लिए सतत साथी है." - श्री ए नागराज
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