"मानव परस्परता में जागृति के अर्थ में अनुबंध ही सम्बन्ध का कार्य रूप है. अनुभव मूलक बोध विधि से परस्पर स्वीकृति सहित पूरकता सहज संकल्प तथा निर्वाह के प्रति निष्ठा ही अनुबंध है. अनुबंध दृढ़ता एवं निरंतरता को ध्वनित करता है जो पूर्णरूपेण जागृति पूर्वक ही संभव है. जागृत मानव के आचरण में ही प्रकटन में निष्ठा होती है." - श्री ए नागराज
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