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Wednesday, April 13, 2016

समुदायवाद, व्यक्तिवाद की परेशानी


व्यक्तिवाद विशेषतया पराधीनता को स्वीकारे रहता है। जबकि हर नर-नारी समानता सहित पहचान प्रस्तुत करना चाहता है साथ में सुखी रहने की आवश्यकता बनी रहती है। सभी जीव संसार अपने-अपने प्रजाति रूपी समुदायों के रूप में जीता हुआ देखने को मिलता है। सभी मानव एक ही प्रजाति के होते हुए परस्परता में निश्चित पहचान सहित जीना स्पष्ट नहीं हो पाया इसका कारण व्यक्तिवाद व समुदायवाद ही है।  समुदायवाद, व्यक्तिवाद की परेशानी ही विशेषतः दासता है।  दासता मानव को स्वीकार नहीं है। विशेषता एक मान्यता है। मान्यतायें प्रमाण नहीं हो पाती। माने हुए को जानना आवश्यक है।  जाने हुये को मानना, माने हुये को जानना ही मानव की आवश्यकता है।  यही समाधान व प्रमाण सूत्र है।  जानने-मानने की सम्पूर्ण वस्तु सह-अस्तित्व रूपी अस्तित्व ही है।


- मानवीय आचरण सूत्र, अध्याय - १ से।



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