"मानवीय आचरण का अनुकरण-अनुसरण करना, उसे अपना स्वत्व बनाने की तीव्र जिज्ञासा पूर्वक निष्ठान्वित क्रियाकलाप ही अध्ययन का लक्षण है. अध्ययन की चरितार्थता आचरण में ही है. अर्थात आचरण पूर्वक ही अध्ययन सफल है. अन्यथा तो केवल चर्चा ही है." - श्री ए नागराज
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