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Friday, June 20, 2008

हर कर्म फलवती होता है.

हर क्रिया का फल होता हैं। हर व्यव्हार का फल होता हैं। हम जो कुछ भी कर्म करते हैं, सोचते हैं, बोलते हैं - उससे या तो समस्या होगा या समाधान होगा। तीसरा कोई कर्म का फल नहीं होता।

जागृति की दिशा पकड़ने के बाद श्राप, ताप, और पाप तीनो ख़त्म हो जाते हैं। जागृति के पास आने से पहले पूर्व कर्मो का फल जीवन भोग चुकता हैं। जिस क्षण से हमारी प्रवृत्ति सही की ओर हो जाती हैं, उसी क्षण से हमारे द्वारा पूर्व में की गयी गलतियों का प्रभाव हम पर ख़त्म हो जाता हैं।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००६)

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