प्रश्न: मणि क्या वस्तु है?
उत्तर: प्रत्येक परमाणु में चुम्बकीय बल-सम्पन्नता बना ही रहता
है. परमाण्विक क्रिया के कारण से ताप,
ध्वनि और विद्युत निर्मित होता है. हरेक
परमाणु में ये चारों सामान्य रूप में विद्यमान हैं. मणि के गठन में शामिल परमाणुओं से निर्मित ताप
को किरण के रूप में प्रसारित करने वाली मणियों को किरण-श्रावी कहा है. ऐसी किरणों को ग्रहण करने वाली मणियों को
किरण-ग्राही कहा है. कुछ मणियाँ
किरण-ग्राही और किरण-श्रावी दोनों होती हैं.
इस तरह तीन प्रजाति की मणियाँ हैं.
प्रश्न: मणि के गठन में शामिल होने वाले परमाणुओं में क्या विशेषता
है?
उत्तर: मणि मूलतः हल्के परमाणुओं (एक निश्चित संख्या के अंशों से
गठित) का गठन है. ऐसे अनेक परमाणुओं के गठन से एक अणु, और ऐसे
अनेक अणुओं के गठन से एक मणि. इन परमाणुओं
से केवल ताप ही प्रसारित होता है, विद्युत और ध्वनि को अन्तर्निहित किया रहता है. हीरा
एक मणि है, जिससे सर्वाधिक ताप प्रसारित होता है.
प्रश्न: सूर्य से निकलने वाली किरणे और मणि से निकलने या समाने वाली किरणे क्या भिन्न है?
उत्तर: हाँ. मणि से निकलने या समाने वाली किरणों की प्रक्रिया सूर्य
से निकलने वाली किरणों की प्रक्रिया से अलग है. धरती की सभी मणियाँ सूर्य की
किरणों (उसके ताप और प्रतिबिम्ब) से संबद्ध हैं.
सूर्य के साथ संबद्ध धरती पर पाई जाने वाली मणियों में यह किरण-श्रावी या
किरण-ग्राही गुण होता है. मणियाँ सूर्य का
ताप पचा कर किरण-श्रावी या किरण-ग्राही गुण को प्रकाशित करती हैं.
प्रश्न: जब सूर्य नहीं रहेगा, या ठंडा हो जाएगा – तब क्या होगा?
उत्तर: तब ये मणियाँ धरती के ताप (अन्तर्निहित अग्नि) से संबद्ध हो
जायेंगी. जैसे – बच्चे गर्भ में रहते तक
नाभि से आहार ग्रहण करते हैं, पैदा होने के बाद मुख से आहार ग्रहण करने लगते हैं.
सूर्य के ताप से संबद्ध होने के कारण या धरती के ताप से संबद्ध होने के कारण
मणियों में किरण-ग्राही या किरण-स्रावी गुण है.
मणियों के गुण मानव-शरीर के लिए अनुकूल या प्रतिकूल होते हैं. ज्योतिष विज्ञान में इन प्रभावों को काफी
परीक्षण किया गया है.
प्रश्न: मणि से निकलने वाली किरणों में यदि ताप नहीं है तो मणि की
किरणे क्या है?
उत्तर: मणि की किरणे मणि की पहचान हैं. जो वस्तु मणि से प्रभावित होती है, उसके लिए
पहचान का आधार है.
प्रश्न: किरण-ग्राही मणि और मिट्टी में क्या अंतर है?
उत्तर: किरण-ग्राही मणियाँ जीव-संसार के लिए उपकारी हैं. दूसरे ये पत्थर, धातु और मिट्टी में परिनितियों
के कारण बनते हैं. जैसे – पत्थर में
कठोरता, धातु में विद्युत-ग्राहिता, और मिट्टी में उर्वरकता. मिट्टी और मणि का रूप या बनावट अलग-अलग है.
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (दिसम्बर 2008, अमरकंटक)
No comments:
Post a Comment