मानव की परिभाषा है - मनाकार को साकार करने वाला, और मनः स्वस्थता को प्रमाणित करने वाला।
प्रश्न: "मनाकार को साकार करने" से क्या आशय है? क्या साकार करने में विचार और चित्रण शामिल नहीं हैं?
उत्तर: कल्पनाशीलता और कर्म-स्वतंत्रता के आधार पर मनाकार होता है। जिस डिजाईन को साकार करना है, उसको मन स्वीकार लेता है। आशा, विचार, इच्छा तीनो क्रियाओं के आधार पर डिजाईन तैयार होता है, उसको मन स्वीकार लेता है। फिर उसको सफल बनाने के लिए शरीर द्वारा प्रयत्न होता है। मन जब स्वीकार लेता है तब उसको करने में प्रवृत्त होता है। मन ही शरीर द्वारा क्रियान्वित करता है, इसलिए उसको "मनाकार को साकार करना" कहा है।
प्रश्न: "मनः स्वस्थता" से क्या आशय है? क्या पूरे जीवन का स्वस्थ होना आवश्यक नहीं है?
उत्तर: मनः-स्वस्थता = सर्वतोमुखी समाधान को प्रमाणित करना। पूरे जीवन में संगीत होने पर ही मनः स्वस्थता होती है। दूसरा कोई विधि नहीं है। आत्मा में अनुभव से ले कर मन तक सामरस्यता होने पर ही मनः स्वस्थता है। मनुष्य-परंपरा में प्रमाणित करना मन के द्वारा ही होता है, इसलिए इस स्थिति को मनः-स्वस्थता कहा है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित
प्रश्न: "मनाकार को साकार करने" से क्या आशय है? क्या साकार करने में विचार और चित्रण शामिल नहीं हैं?
उत्तर: कल्पनाशीलता और कर्म-स्वतंत्रता के आधार पर मनाकार होता है। जिस डिजाईन को साकार करना है, उसको मन स्वीकार लेता है। आशा, विचार, इच्छा तीनो क्रियाओं के आधार पर डिजाईन तैयार होता है, उसको मन स्वीकार लेता है। फिर उसको सफल बनाने के लिए शरीर द्वारा प्रयत्न होता है। मन जब स्वीकार लेता है तब उसको करने में प्रवृत्त होता है। मन ही शरीर द्वारा क्रियान्वित करता है, इसलिए उसको "मनाकार को साकार करना" कहा है।
प्रश्न: "मनः स्वस्थता" से क्या आशय है? क्या पूरे जीवन का स्वस्थ होना आवश्यक नहीं है?
उत्तर: मनः-स्वस्थता = सर्वतोमुखी समाधान को प्रमाणित करना। पूरे जीवन में संगीत होने पर ही मनः स्वस्थता होती है। दूसरा कोई विधि नहीं है। आत्मा में अनुभव से ले कर मन तक सामरस्यता होने पर ही मनः स्वस्थता है। मनुष्य-परंपरा में प्रमाणित करना मन के द्वारा ही होता है, इसलिए इस स्थिति को मनः-स्वस्थता कहा है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित
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