ANNOUNCEMENTS



Friday, November 9, 2018

स्त्रोत की ओर ध्यानाकर्षण


जीवन विद्या योजना इस अनुसंधान की "सूचना" को जनसामान्य तक पहुंचाने का एक कार्यक्रम है.  उससे लोगों में उत्साह होता है.  उत्साहित लोगों को अध्ययन में लगाना चाहिए.  व्यक्तिवाद के आधार पर ही आप लोगों को अध्ययन में नहीं लगाओगे.  जीवचेतना से व्यक्तिवाद आया ही है. 

प्रश्न:  यह व्यक्तिवाद कैसे हुआ?

उत्तर: जीवन विद्या को आप अपने अधिकार से प्रबोधित किये.  इसके स्त्रोत की ओर आपने ध्यान नहीं दिलाया, मतलब आप स्वयं इसके आचार्य हुए.  यह व्यक्तिवाद हुआ या नहीं?

प्रश्न: होना क्या चाहिए?

उत्तर: स्त्रोत की ओर ध्यानाकर्षण.  स्त्रोत भाषा रूप में है - मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद, अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन.  "मानव केन्द्रित" मतलब मानव समझदार हो सकता है, मानव के समझदार होने की विधि है, और मानव के समझ को प्रमाणित करने की विधि है.

रहस्य मूलक ईश्वर केन्द्रित चिंतन का मतलब है - कोई मानव समझदार नहीं होगा.  अस्थिरता-अनिश्चयता मूलक वस्तु केन्द्रित चिंतन का मतलब - सकल अपराध हर व्यक्ति कर सकता है. 

- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००६, अमरकंटक)

No comments: