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Friday, November 9, 2018

परिवार का महत्त्व

प्रश्न: कृपया परिवार के महत्त्व को समझाइये.

उत्तर: परिवार संबंधों में जीने का स्वरूप है.  संबंधों के नाम आपको विदित हैं.  इन संबंधों का प्रयोजन समझ में आता है तो उनका निर्वाह होता है.  संबंधों का प्रयोजन समझ नहीं आता है तो हम सम्बन्धियों को अपनी सुविधा के लिए उपयोग करते हैं.  एक छत के नीचे दस व्यक्तियों का "होना" तो बन जाता है, "जीना" नहीं बन पाता.  सब अपने-अपने तरीके से जीते रहते हैं.

मानव के व्यवस्था में जीने का पहला सोपान परिवार है.  परिवार में साथ जीने के लिए आचरण में एकरूपता आवश्यक है.  आचरण ही नियम है.

हर वस्तु में आचरण ही नियम है.  आदर्शवाद और भौतिकवाद ने मानव के आचरण को नियम नहीं माना.  मानव को पहले अपने आचरण को पहचानने की आवश्यकता है.  आचरण को पहचानने के बाद मूल्य, चरित्र, नैतिकता व्याख्यायित होता है.  इन तीनों को लेकर यदि हम परिवार में सफल  हो जाते हैं तो परिवार के संबंधों में फिर कोई मतभेद नहीं रहता.  यदि सभी परिवारजन मानवीयता पूर्ण आचरण में जीते हैं और समाधान से वैभवित हो जाते हैं तो परिवार में कोई समस्या नहीं रहती.  समाधान के बिना समस्या जाता नहीं है.  हर मुद्दे पर समाधान चाहिए!

शरीर यात्रा पर्यंत भौतिक समृद्धि एक समाधान है.  शरीर यात्रा में भौतिक वस्तुएं किसलिए हैं?  - शरीर पोषण, संरक्षण और समाज गति के लिए.  इस तरह सूत्र ने चारों तरफ अपना पैर जमा लिया.   समाज गति है -  व्यवस्था और व्यवस्था में भागीदारी.  परिवार में पहले व्यवस्था है.  मानव लक्ष्य का आधा भाग वहीं प्रमाणित हो गया.  मानव लक्ष्य चार हैं - समाधान, समृद्धि, अभय और सहअस्तित्व प्रमाणित होना.

समाधान परिवार में ही है.  परिवार में हर व्यक्ति का समाधानित होना आवश्यक है.  यह शिक्षा विधि से होगा.  जैसे - आप यदि शिक्षित हैं तो आप जो मुखरित होते हैं वह शिक्षा ही है.  आप यदि भ्रमित हैं तो आप जो मुखरित होते हैं वह भ्रम ही है.  हर मानव का हैसियत इतना ही है.  जन्मने से पहले और मरने के बाद क्या होता है - इसमें पड़ने की आवश्यकता नहीं है.  मानव की हैसियत के स्वरूप को समझने और प्रमाणित करने की आवश्यकता है.  वह है - समाधान समृद्धि पूर्वक परिवार में जीना.  हर नर-नारी को समाधानित होने का समान अधिकार है.  यह पहला मानवाधिकार है. 

- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००६, अमरकंटक)

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