ANNOUNCEMENTS



Wednesday, April 26, 2017

अस्तित्व मूलक मानव केंद्रित चिंतन का आधार

भय से मुक्ति हर मानव की आवश्यकता है.  हर मानव चाहता है कि भय न रहे.  हर मानव कहीं न कहीं चाहता है कि हम विश्वास पूर्वक जी सकें।  यह बात मानव में निहित है.  जब तक भय है तब तक अपने में विश्वास कहाँ है?  भय के स्थान पर मानव समाधान-समृद्धि पूर्वक जी सकता है.  इसको मैंने समझ लिया और जी लिया।  इसके बाद "अस्तित्व मूलक मानव केंद्रित चिंतन" को प्रस्तुत किया।  अस्तित्व तो था ही, मानव भी था ही - अस्तित्व में अनुभव पूर्वक मानव के जीने के सूत्र, सुख को अनुभव करने के सूत्र, समाधानित होने के सूत्र, समृद्ध होने के सूत्र, वर्तमान में विश्वास करने के सूत्र, सहअस्तित्व (सार्वभौम व्यवस्था) में जीने के सूत्र को हासिल कर लिया।  मानव ही इन सूत्रों की व्याख्या अपने जीने में करता है.  इस ढंग से वर्तमान में प्रमाणित होने के धरातल से अस्तित्व मूलक मानव केंद्रित चिंतन का आधार बना.

अस्तित्व एक ध्रुव है - जो मूल है, अस्तित्व में जागृति दूसरा ध्रुव है - जो फल है.  मूल भी सहअस्तित्व है, फल भी सहअस्तित्व है. अब यह जाँच सकते हैं, मानव क्या जागृति के अनुरूप जी रहा है या नहीं?  जीने के लिए तत्पर है या नहीं?

हर मानव अस्तित्व मूलक मानव केंद्रित चिंतन के अध्ययन पूर्वक समाधानित होगा तथा अनुभवमूलक विधि से परिवार में समृद्धि, समाज में अभय और राष्ट्र में सहअस्तित्व (सार्वभौम व्यवस्था) को प्रमाणित करेगा।

- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (आंवरी १९९९)

No comments: