क्षमता = वहन क्रिया
योग्यता = प्रकाशन क्रिया
पात्रता = ग्रहण क्रिया
जीवन में क्षमता, योग्यता, और पात्रता होती है।
अध्ययन (शिक्षा) का लक्ष्य है - अनुभव के लिए पात्रता को विकसित करना। अभी प्रचलित शिक्षा का लक्ष्य है - पैसा पैदा करने की पात्रता को विकसित करना। आदर्शवादी शिक्षा का लक्ष्य था - विरक्ति के लिए पात्रता को विकसित करना।
अध्ययन का फलन है - अनुभव। जो (स्वयं और दूसरे का) सही मूल्यांकन कर पाने के लिए आवश्यक योग्यता है। अनुभव को निरंतर बनाए रखने की क्षमता जीवन में है। अनुभव के अलावा कुछ निरंतर बना रहता भी नहीं है।
अनुभव गामी विधि से जीते हुए - अध्ययन करना या समझना प्रत्यावर्तन है। जैसा समझे हैं उसको जीना परावर्तन है।
अनुभव मूलक विधि से जीते हुए - स्वयं और अन्य का मूल्यांकन करना प्रत्यावर्तन है। जीने में अनुभव को अभियक्त, संप्रेषित, और प्रकाशित करना परावर्तन है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (दिसम्बर २००८, अमरकंटक)
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