विश्वास का क्रम है - पहले, आत्म-विश्वास. दूसरे, स्वयं में विश्वास. तीसरे, संबंधों में विश्वास
आत्म-विश्वास का मतलब है - अनुभव में विश्वास.
स्वयं में विश्वास का मतलब है - मानव के शरीर और जीवन के संयुक्त स्वरूप में होने पर विश्वास.
संबंधों में विश्वास का मतलब है - मूल्यों के निर्वाह में विश्वास.
आत्म-विश्वास के बिना स्वयं में विश्वास होना ही नहीं है. स्वयं में विश्वास के बिना संसार के साथ संबंधों में विश्वास होना ही नहीं है.
आत्म-विश्वास समझदारी से आता है.
समझदारी व ज्ञान को लेकर जो आदर्शवाद में बताया गया उससे आत्म-विश्वास का प्रमाण नहीं हुआ. वह शिक्षा में, आचरण में, संविधान में, और व्यवस्था में आया नहीं. भौतिकवाद में विश्वास की आवश्यकता को ही नहीं पहचाना गया. वह केवल सुविधा-संग्रह की हविस तक पहुंचाया. उससे कोई आत्म-विश्वास होना नहीं है.
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अप्रैल २००८, अमरकंटक)
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