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Monday, August 9, 2021

विज्ञान के अराजक होने का कारण

 हर वस्तु अनंत कोण संपन्न है.

हर वस्तु प्रकाशमान है.

हर वस्तु दूसरे वस्तु को पहचानता है.


ये तीन बातें अभी विज्ञान में नहीं पढ़ाते हैं.  बुनियादी तौर पर विज्ञान के अराजक होने का कारण यह बना.


प्रकाशमानता एक दूसरे की पहचान का सूत्र है.  एक दूसरे को पहचानने की विधि की शुरुआत परमाणु अंश से हुई.  एक परमाणु अंश दूसरे परमाणु अंश को पहचानता है, इसलिए परमाणु गठित होता है.  परमाणु गठित होने का प्रयोजन है - व्यवस्था को प्रमाणित करना.  परमाणु व्यवस्था का मूल स्वरूप है.  विज्ञान इसको बोध नहीं करा पाता.


अनेक (जड़) परमाणुओं से मिलकर मानव शरीर है.  जीवन अपने स्वरूप में एक परमाणु है ही.  इस तरह जीवन और शरीर के संयुक्त स्वरूप में व्यवस्था में जीने की बात अभी तक अध्ययन नहीं कर पाए.  व्यवस्था की अपेक्षा में ही एक परमाणु अंश से लेकर मानव तक अध्ययन हो पाता है.  


- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००७, अमरकंटक)

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